गुप्त युग स्वर्ण युग क्यों
- AMAN Chauhan
- Oct 27, 2021
- 3 min read
प्राचीन भारतीय ( Prachin Bharat Ka itihas )इतिहास के अभिलेखों में गुप्त काल को 'स्वर्ण युग' कहा गया है। इस घोषणा के समर्थन में निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं:
(1) राजनीतिक एकता का युग:
इस काल में भारत को जो राजनीतिक एकजुटता किसी स्तर पर मिली, वह पहले कभी नहीं बदली। डॉ. राधाकुमुद मुखर्जी ने गुप्त-सम्राटों द्वारा स्थापित राजनीतिक एकता पर प्रकाश डालते हुए लिखा है- 'गुप्त साम्राज्य एक बहुत अच्छी तरह से तैयार राष्ट्र में बदल गया, जो भारत के एक बड़े हिस्से पर राजनीतिक एकता स्थापित करने में सफल रहा। इसकी संप्रभुता।
(2) शांति और व्यवस्था का युग:
गुप्त काल शांति और व्यवस्था की एक तकनीक थी जिसमें विषयों को उनकी प्रगति का अवसर मिला। इससे डॉ. राधाकुमुद मुखर्जी ने लिखा है- 'संयुक्त राज्य अमेरिका का कपड़ा और नैतिक विकास ठीक से तैयार की गई राजनीतिक स्थिति का परिणाम है।' गुप्त शासन बहुत उदार और दयालु हो गया। विषयों को अपनी प्रगति के लिए पूरी स्वतंत्रता थी। विषयों को बाहरी और आंतरिक आपदाओं से बचाने के लिए राष्ट्र के सहयोग से पूरी तैयारी की गई थी। न्याय की एक बहुत ही आश्चर्यजनक व्यवस्था बन गई, लेकिन कठोर सजा का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। किसी भी बदमाश को मौत की सजा नहीं दी गई।
(3) धार्मिक सहिष्णुता का युग:
आध्यात्मिक दृष्टि से भी गुप्त काल का अत्यधिक महत्व है। यह ब्राह्मणवाद के पुनरुद्धार और सुधार के स्वर्ण युग में बदल गया। इस अवधि के दौरान, भारत के कोने-कोने में ब्राह्मण धर्म का प्रसार अधिक प्रभावी नहीं था, बल्कि यह इंडोचीन और जापानी-द्वीप समूह में भी फैला। ब्राह्मणवादी धर्म के अनुयायी होने के बावजूद गुप्त वंश के सम्राटों में उच्च स्तर की धार्मिक सहनशीलता थी। उन्होंने विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को आश्रय दिया। स्मिथ ने लिखा है- 'यद्यपि गुप्त सम्राट ब्राह्मण धर्म के प्रशंसक थे, तथापि उन्होंने प्राचीन भारतीय उपसंस्कृति को ध्यान में रखते हुए सभी भारतीय धर्मों की इसी प्रकार जाँच की।
(4) वैदिक सभ्यता और जीवन शैली की सुरक्षा का युग: गुप्त लंबाई को वैदिक सभ्यता और संस्कृति के संरक्षण की तकनीक माना जाता है। स्मिथ ने लिखा है - 'यह कहना पर्याप्त है कि ब्राह्मण धर्म के पुनरुद्धार के साथ, संस्कृत, ब्राह्मणों की पवित्र भाषा, भी उन्नत हुई।' वैदिक धर्म, जो बेजान हो गया था, गुप्त सम्राटों द्वारा पुनर्जीवित हो गया। और उसे स्वीकार करके, उसे देश की शरण देकर, उसका विकास किया।
(5) साहित्य और तकनीकी ज्ञान की उन्नति का युग: साहित्य और विज्ञान की उन्नति की दृष्टि से गुप्त काल भी 'स्वर्ण युग' बन गया। इस युग की साहित्यिक महिमा की प्रशंसा करते हुए स्मिथ ने लिखा है- 'गुप्त पीढ़ी अनेक क्षेत्रों में विशेष रुचि का युग बन जाती है। यह एक ऐसी पीढ़ी बन गई जिसका मूल्यांकन इंग्लैंड के एलिजाबेथ और स्टीवर्ट के समय के साथ करना अनुचित नहीं होगा।
(6) कला की उन्नति का युग:
गुप्त काल भारतीय कलाओं के स्वर्ण युग में बदल गया। इस युग के दौरान वास्तुकला, शिल्प कौशल, मूर्तिकला निर्माण, वाद्य कला, संगीत कला और अन्य सभी कलाओं का विकास हुआ। अजंता की गुफाओं की कलाकृतियां, बौद्ध और हिंदू मूर्तियां, शैव और वैष्णव मंदिर, विहार, चैत्य और स्तूप इस कलाकृति की विशिष्टता के ज्वलंत प्रमाण हैं। इस युग की कलाकृतियाँ अत्यंत स्वाभाविक, सहज एवं ढीली विदेश से प्रभावित होती हैं।
(7) विदेशी देशों पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रभाव: गुप्त काल के दौरान, भारतीय सभ्यता और परंपरा को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया गया और विदेशों में भारतीय उपनिवेश स्थापित किए गए। जावा की एक किंवदंती के अनुसार, इस युग में किसी समय गुजरात के एक राजकुमार ने कई हजार लोगों के साथ समुद्र पार किया और जावा में एक उपनिवेश स्थापित किया। गुप्त काल के दौरान, भारत ने जाप द्वीप कंपनियों के साथ निकट व्यापार और सांस्कृतिक संबंध स्थापित किए।
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