top of page

स्वतंत्रता के द्वार पर भारत

  • Writer: AMAN Chauhan
    AMAN Chauhan
  • Sep 20, 2021
  • 2 min read

भारत की स्वतंत्रता अब किसी अविवाहित अवसर या गति का अंतिम परिणाम नहीं रह गई है। इसके पीछे कई मौकों, चालों और दबावों ने काम किया। इसका श्रेय किसी पुरुष या महिला या किसी के जन्मदिन की पार्टी को नहीं दिया जा सकता है। भारत की स्वतंत्रता के लिए उत्तरदायी कारकों की जड़ें पूरे भारत में और कई देशों में भारत के दरवाजे से बाहर फैली हुई हैं। १८५७ ईस्वी में लड़े गए स्वतंत्रता के प्राथमिक संघर्ष से लेकर १९४७ ई. जानिए आधुनिक भारत का इतिहास ( Adhunik Bharat Ka Itihas )जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई।


भारत को स्वतंत्रता देने के कारण


भारत इंग्लैंड के ताज के अंदर सबसे चमकीला हीरा बन गया है। भारत से इंग्लैण्ड की ओर लगातार नकदी प्रवाह होने के कारण भारत इंग्लैण्ड के मनुष्यों का एक अद्भुत कमजोर स्थान बन गया। अंग्रेज भारतीय देशव्यापी आंदोलन को दबा रहे थे, फिर भी द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, जब अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्र बनाने की ठानी, तो इसके पीछे कई देशव्यापी और अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्य थे-

(१.) इंग्लैंड को भारी नुकसान :

द्वितीय विश्व युद्ध (१९३९-४५ ईस्वी) के अंदर भारी नुकसान के बाद ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के अंदर एक विकल्प देखना स्वाभाविक हो गया। जब तक संघर्ष समाप्त हुआ, ऐसा लग रहा था कि ब्रिटेन अब भारत पर अपना अधिकार लंबे समय तक नहीं रख पाएगा।


(२.) अंतर्राष्ट्रीय तनाव:

भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए इंग्लैंड पर वैश्विक दबाव बढ़ता जा रहा है। ब्रिटिश संसद में विपक्ष के नेता विंस्टन चर्चिल को अब किसी भी तरह से भारतीय स्वतंत्रता की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन उन्होंने अमेरिकी दबाव में यह भी जाना कि भारतीयों को स्वतंत्रता प्रदान करनी होगी, जिसकी इच्छा में भारतीयों ने भाग लिया था। अंग्रेजों की ओर से संघर्ष में। रूस और चीन भी इंग्लैंड पर दबाव बना रहे थे कि वह युद्ध के समय किए गए अपने वादे को निभाए और भारत को बेपर्दा करे।


(३.) भारतीय सेनाओं के भीतर विद्रोह:

एक और भी बड़ा तत्व बन गया जिसने ब्रिटिश सरकार के मनोविज्ञान को झकझोर कर रख दिया। अधिकांश ब्रिटिश इतिहासकार अब इस तत्व की चर्चा भी नहीं करते हैं। भारतीय इतिहासकार भी ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा परिभाषित आंकड़ों के चक्रव्यूह में अपना रास्ता भूल जाते हैं।


(४.) भारत में सांप्रदायिक दंगे:

एक तरफ कांग्रेस भारत के लिए तनावपूर्ण स्वतंत्रता बन गई और वैकल्पिक रूप से जिन्ना और मुस्लिम लीग अलग यू के लिए अड़े थे। एस । आजादी से पहले मुसलमानों के लिए पाकिस्तान सोलह अगस्त 1946 को उन्होंने प्रत्यक्ष कार्रवाई के माध्यम से सैकड़ों हिंदुओं को मार कर अपनी ताकत का भयानक प्रदर्शन किया था।


(5 ) अविश्वास का वातावरण:

जैसे-जैसे भारत की स्वतंत्रता निकट आती जा रही थी, भारत में अविश्वास का वातावरण चारों ओर बढ़ता जा रहा था। जिन्ना और मुस्लिम लीग ने कांग्रेस पर और कांग्रेस ने वायसराय वेवेल पर भरोसा नहीं किया। वायसराय को इंग्लैंड की सरकार के भीतर अविश्वास था और प्रधान मंत्री क्लेमेंट एटली ने वायसराय वेवेल के साथ सच को स्वीकार नहीं किया। कई भारतीय नेताओं में आपसी अविश्वास का माहौल भी बना।


 
 
 

Recent Posts

See All
गुप्त युग स्वर्ण युग क्यों

प्राचीन भारतीय ( Prachin Bharat Ka itihas )इतिहास के अभिलेखों में गुप्त काल को 'स्वर्ण युग' कहा गया है। इस घोषणा के समर्थन में निम्नलिखित...

 
 
 
कांग्रेस की स्थापना

१८५७ की क्रांति के बाद,भारतीय इतिहास ( Bharat Ka Itihas ) में राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ, हालाँकि यह तब तक एक आंदोलन का रूप नहीं ले...

 
 
 

Comments


Hi, thanks for stopping by!

I'm a paragraph. Click here to add your own text and edit me. I’m a great place for you to tell a story and let your users know a little more about you.

Let the posts
come to you.

Thanks for submitting!

  • Facebook
  • Instagram
  • Twitter
  • Pinterest

Let me know what's on your mind

Thanks for submitting!

© 2023 by Turning Heads. Proudly created with Wix.com

bottom of page