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क्या सच में 81 किलो के भाले को एक हाथ में लेकर महाराणा करते थे अचूक वार

  • Writer: AMAN Chauhan
    AMAN Chauhan
  • Aug 19, 2021
  • 3 min read

Updated: Sep 13, 2021

राजस्थान का एक विशेष रूप से साहसी सेनानी जिसने नकद और जमीन का आत्मसमर्पण किया, हालांकि उसने कभी अपना सिर नहीं झुकाया। महाराणा प्रताप भारत के शासकों में अकेले स्वामी हैं, जिन्होंने अपने पद के गौरव को बनाए रखा। मुगलों को साहस, निर्भीकता और निडरता से लोहे के चने काटने वाले राजस्थान के वीर महाराणा प्रताप के भाले, तलवार और आवरण का वजन 208 किलो था। ऐसे ढेर के साथ वह चेतक पर हवा की गति के साथ आगे की पंक्ति में टहलता था। Bharat Ka Itihas आज भी उन्हें याद करता है | खुद महाराणा का वजन 110 किलो और कद 7 फुट 5 इंच था। वजनदार महाराणा प्रताप २०८ किलो का अतिरिक्त भार ढोते हुए चेतक अग्रिम पंक्ति की हवा से बातचीत करते थे। इतने अधिक वजन के साथ चेतक ने 26 फीट की नहर को पार कर लिया था और मुगल सेना इस अजूबे को देखती रही। जिस समय महाराणा युद्ध क्षेत्र में प्रवेश करते थे, उस समय विरोधियों को कुचल दिया जाता था।



महाराणा प्रताप के जन्मोत्सव के संबंध में भी मूल्यांकन का एक भेद है। मेवाड़ में छठ जून को महाराणा प्रताप की विश्व स्मृति में परिचय की प्रशंसा की जाती है। जबकि गूगल और विकिपीडिया पर महाराणा प्रताप की जन्मतिथि 9 मई को लिखी गई है। इसके संकेत के अनुसार लोग 9 मई को महाराणा प्रताप जयंती मनाते हैं। जबकि मेवाड़ में महाराणा प्रताप जयंती तिथि के अनुसार नहीं बल्कि तिथि के अनुसार मनाई जाती है।


वह एक हाथ से 81 किलो का भाले लाते थे।


महाराणा प्रताप के लांस का वजन महज 81 किलो था, जिसे वह अपने एक हाथ से विरोधियों पर आसानी से वार कर देते थे। महाराणा का आक्रमण भी निर्दोष था। पुरे Prachin Bharat Ka itihas इनके इस शौर्य को कभी नहीं भुला पायेगा | जिससे दुश्मन के सशस्त्र बल कांप उठे। उनकी ढाल भी 72 किलो थी। 18 जून, 1576 को अकबर की सेना के साथ हल्दीघाटी की झड़प में महाराणा ने शत्रुओं के पसीने को शांत किया था। भगवान मानसिंह ने हल्दीघाटी के क्षेत्र में अकबर के लाभ के लिए महाराणा की परीक्षा ली थी। हल्दीघाटी के संघर्ष में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 योद्धा थे और अकबर के पास 85000 अधिकारी थे, इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने आत्मसमर्पण नहीं किया और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे। इस संघर्ष में महाराणा प्रताप की निडरता और उनके धैर्य ने उन्हें असाधारण बना दिया।


प्रिय चेतक आज याद आ गया


चेतक महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोडा था। महाराणा प्रताप की तरह उनका पोती चेतक भी बेहद बोल्ड था। हल्दीघाटी युद्ध के दौरान जब मुगल सेना उनके पीछे थी, तब चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बिठाते हुए 26 फीट लंबे नाले को पार किया। हल्दीघाटी की झड़प में उनका अटल टट्टू चेतक गंभीर रूप से घायल हो गया। जो भी हो, इस पीड़ा ने उन्हें असाधारण प्रसिद्धि दिलाई। दरअसल, चेतक की समाधि आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में ही है।


हल्दीघाटी युद्ध महाभारत युद्ध (हल्दीघाटी युद्ध) के समान ही काफी था।


18 जून, 1576 को मुगल शासक अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुई हल्दीघाटी की झड़प महाभारत युद्ध की तरह भयावह थी। कहा जाता है कि इस संघर्ष में न तो अकबर जीत सका और न ही महाराणा प्रताप हारे। ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने महाराणा को मनाने के लिए 6 सद्भाव कोरियर भेजे, ताकि संघर्ष शांति से समाप्त हो सके, फिर भी महाराणा ने हर बार यह कहते हुए उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि राजपूत नायक इसे कभी नहीं सहेंगे। .


प्रताप के थे 11 विवाह


महाराणा प्रताप ने पूरे किए 11 विवाह किये थे जो कि उन्होंने राजनीतिक कारणों से रिश्तों का यह भार उठाया। महाराणा प्रताप के 17 बच्चे और 5 लड़कियां थीं। हल्दीघाटी युद्ध के बाद जब महाराणा प्रताप एक जंगल से दूसरे जंगल में भटक रहे थे तो उन्होंने घास की रोटी भी खा ली।




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